गज़ल
अना को चोट अब गहरी लगी है
मेरे किरदार की बोली लगी है
तुम्हारे दिल के दरवाजे पे अब तक
हमारे नाम की तखती लगी है
तेरा चेहरा गवाही दे रहा है
तेरे हाथों में क्यों मेंहदी लगी है
बहोत समझाया दिल को हम ने लेकिन
हमारे हाथ मायूसी लगी है
बिछड़ते वक्त ऐसा भी हुआ है
किसी की बेरुखी अच्छी लगी है
किया है याद शायद उसने मुझको
के राही आज फिर हिचकी लगी है
आदिल राही